Wednesday, 24 December 2014

खुदा सलामत रखे सब बन्दों को 
ए परवर दिगार हमें दो इतना ताकत 
सबके नन्हे-मुन्हें जियें सालों-साल
न हो पेशावर जैसी कोई नापाक हरकत 
उन नामुरादों को तुम ही दो सजा 
सब्र की सीमा अब हो गयी है पार।

Tuesday, 16 December 2014

जब हम किसी की सहायता करते हैं तो वास्‍तव में हम अपनी ही सहायता कर रहे होते हैं। चाहे वह भौतिक साधनों के रूप में हो या ज्ञान। जब भी कोई व्‍यक्ति आपसे कुछ मांगने आता है, तो सृष्टि के नैसर्गिक नियम के अनुसार प्रकृति ने मांगने वाले के रूप में उस व्‍यक्ति का और देने वाले के रूप में आपका चुनाव किया है। अब सहायता करनी है या नहीं करनी है, यह आपकी खुद की इच्‍छा पर निर्भर है। इच्‍छा की यही स्‍वतंत्रता हमें ईश्‍वर द्वारा स्‍थापित पूर्व नियतता से मुक्‍त करती है। एक कहावत के अनुसार आप दूसरों को जो कुछ देते हैं, वह वास्‍तव में आप बचा रहे हैं और जो कुछ आप अपने पास रखते हैं वह वास्‍तव में खो देते हैं। देने के साथ ही आपकी चेतना का विस्‍तार अपनी शरीर से बाहर निकलकर आपकी सहायता के विस्‍तार तक फैल जाता है। जब आप सहायता करने से इनकार कर देते हैं तो आपकी चेतना सिकुड़कर आप के भीतर ही कहीं कुंठित हो जाती है। ऐसे में सहायता करना आपको बढ़ाता है और इनकार करना आपको कुंठित करता है। प्रकृति ने आपकी मदद की है सहायता की इच्‍छा वाले व्‍यक्ति को आप तक पहुंचाने की। आखिर में सहायता करने के बाद यह अहंकार का भाव भी न रखिए कि सहायता आपने की है। बस आपका चुनाव किया गया कि आपके जरिए सहायता की जानी है और इसके बदले में भविष्‍य में आपको भी ऐसी या इससे बेहतर सहायता मिल सकेगी।
यह जरूरी नहीं है कि गुरु कोई व्यक्ति हो। 
गुरु शब्द दो अक्षरों से मिलकर बना है। गु और रु, ‘गु’ के मायने हैं अंधकार और ‘रु’ का मतलब है भगाने वाला। कोई भी चीज या इंसान, जो आपके अंधकार को मिटाने का काम करता है, वह आपका गुरु है। यह कोई ऐसा इंसान नहीं है जिससे आपको मिलना जरूरी हो। गुरु तो एक तरह की रिक्तता है, एक विशेष प्रकार की ऊर्जा है। यह जरूरी नहीं है कि गुरु कोई व्यक्ति हो। लेकिन आप एक गुरु के साथ, जो शरीर में मौजूद हो, खुद को बेहतर तरीके से जोड़ सकते हैं, आप अपनी शंकाओं का समाधान कर सकते हैं। एक सच्चा जिज्ञासु, एक ऐसा साधक जिसके दिल में गुरु को पाने की प्रबल इच्छा होती है, वह हमेशा उसे पा ही लेता है। इसमें कोई शक की गुंजाइश नहीं है। जब भी कोई वास्तव में बुलाता है, याचना करता है तो अस्तित्व उसका उत्तर जरूर देता है।
कैसी तरक्की किसकी तरक्की कौन हुआ खुशहाल ?
दुनिया बदली सत्ता बदली बदले गांव बाजार ,
पर गरीब का हाल न बदला आई गई सरकार..
'सत्यम ब्रूयात, प्रियं ब्रूयात, मा ब्रूयात सत्यम अप्रियम' सत्य बोलो और प्रिय बोलो। अप्रिय सत्य नहीं बोलना चाहिए। सत्य बोलना स्वयं में एक अत्यंत ही दुष्कर कार्य है। लोग सच बोलने से बचना चाहते हैं। मैं इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं जब झूठ बोलना अपरिहार्य हो जाता है। मेरी सोच अलग है। मैं समझता हूँ कि सत्य बोलना सबसे आसान कार्य है क्योंकि जैसे एक झूठ को छिपाने के लिए सौ झूठ बोलना पड़ता है वैसा सत्य बोलने में नहीं है। झूठ बोलने की अपनी समस्याएं हैं एक झूठ को छिपाने के लिए कितने झूठ पर झूठ बोलने पड़ते हैं। सत्य बोलना आसान होने पर भी लोग सत्य बोलने से परहेज करना पसंद करते हैं। दुनिया में शायद ही ऐसा कोई हो जो हमेशा सच ही बोलता हो। बहुसंख्यक लोगों का मानना है कि सत्य हमेशा कड़वा होता है। कड़वा सत्य शायद ही कोई हज़म कर पाता हो। कड़वा सत्य सुनना कोई पसंद नहीं करता। तो क्या मूक रहा जाए? मौनव्रत धारण करना तो अत्याचार, अन्याय और भ्रष्टाचार को मौन समर्थन देने के समान होगा।

Friday, 5 December 2014

गुनाहों से बचें और नेकी करते रहे- यह सभी धर्म कहते है. मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना. यदि आप सच में ऐसा करते हैं तो आप फरिस्ता हैं. आप उन सारे धार्मिक कठमुल्लाओं से ऊपर हैं. आमीन.

Monday, 1 December 2014

गौहर खान के 'छोटे कपड़े' पर एक युवक ने मारा थप्पड़
'छोटे कपड़े' पर गौहर को मारा थप्पड़
बॉलिवुड ऐक्टर गौहर खान को एक रिऐलिटी शो की रिकॉर्डिंग के दौरान मौजूद एक दर्शक ने थप्पड़ मार दिया और उनके धर्म के साथ-साथ उनके पहनावे पर भी टिप्पणी की। वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने बाद में उस युवक को दबोच कर पुलिस के हवाले कर दिया।

रविवार देर शाम गोरेगांव स्थित फिल्म सीटी में एक रिऐलिटी शो के रिकॉर्डिंग के दौरान शो की महिला एंकर गौहर खान के साथ एक युवक ने छेड़खानी और मारपीट की। आरोपी युवक का नाम मोहम्मद अकिल मलिक (24 साल) बताया जा रहा है।