Friday, 12 June 2015
योग को धर्म से जोड़ने की कवायद बड़ी शर्मनाक है।
योग के शब्द भले ही हिन्दू के लगते हों किन्तु लाभ तो सबको बराबर ही मिलेगा। धर्म के लिए ना सही सेहत के लिए तो अपना ही सकते हैं। इतना तो United Nations को भी समझाना नहीं पड़ा था। ये तो संकीर्ण राजनीति की पराकाष्ठा है। विचार की स्वतंत्रता का ये मतलब नहीं कि थोड़े से फायदे के लिये कायदा को बिगाड़ दिया जाय। योग को धर्म से जोड़कर फायदा किसको हो रहा है ? यह तो नुकसान वाली बात है।
बारिश के लिए अजीबोगरीब टोटके
भारत कृषि प्रधान देश है। यहां बारिश का अहम महत्व है। लोगों की जीविका, देश की कृषि व्यवस्था कृषि पर
आश्रित है। ऐसे में बारत में बारिश का खास स्थान है। उसकी पूरी अर्थव्यवस्था बारिश
से जुड़ी हुई है। मानसून की स्थिति यहां अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है। लोग
मानसून के हिसाब से अपनी खेती करते है। चुंकी यहां किसानों को सिंचाई के लिए वर्षा
पर निर्भर होना पड़ता है इसलिए भारत में बारिश के लिए तरह-तरह मान्यताएं और
अधंविश्वास भी है। भारत में लोग खासकर किसान अच्छी बारिश के लिए तरह-तरह के
अंधविश्वास की धारणाओं और परंपराओं को मानते है।
लोगों की मान्यता है कि भागवान इंद्र के प्रसन्न होने से अच्छी बारिश होगी।
वहीं जब बारिश नहीं होती या फिर सूखा पड़ जाता है तो लोग मानते है कि भागवान नाराज
हो गए। भारपत के अलग-अलग हिस्सों में बारिश को लेकर अलग-अलग तरह के अधंविश्वासों
को लोग मानते है।
http://hindi.oneindia.com/news/india/top-10-superstitions-for-good-rain-in-india-309922-pg1.html
Tuesday, 9 June 2015
हर पुरुष बलात्कारी नहीं होता।
हर पुरुष बलात्कारी नहीं होता। हमने देखा है कि रेप के खिलाफ कितने पुरुषों ने प्रदर्शन करते हुए अपनी हड्डियां तुड़वाईं। कितनी ही ऐसी खबरें मिलती हैं जब कुछ असामाजिक तत्वों से किसी बेबस को बचाते हुए लोगों की जान चली गई। समाज में दोनों तरह के लोग होते हैं। यहां ‘पटेंशल रेपिस्ट’ भी होते हैं तो ‘पटेंशल सेवियर’ भी। मानव और दानव के बीच अंतर करने वाली एक बहुत ही महीन-सी रेखा होती है। यह हमारी परवरिश, हमारा सामाजिक माहौल तय करता है कि किसी खास परिस्थिति में हम उस महीन रेखा को मिटाकर दानव बन जाएंगे या फिर मानव ही बने रहेंगे।
जिस देश का नागरिक भूखा हो क्या वह देश विकास कर सकता है ?
जिस देश का नागरिक भूखा हो क्या वह देश विकास कर सकता है ? मेरे हिसाब से तो बिलकुल नहीं। हर पेट को अन्न और हर हाथ को काम मिलना चाहिए। पेट को अन्न तभी मिलेगा जब हाथ को काम मिल जाय। रोजी रोटी का जुगाड़ सबके पास होना चाहिए। मैं कोई नेता नहीं। मैं पब्लिक हूँ। ये पब्लिक है, सब जानती है।
'धन्यवाद' लिखने से 'लाईक' या 'कमेन्ट' करने वाले को यह तसल्ली हो जाता है
'धन्यवाद' लिखने से 'लाईक' या 'कमेन्ट' करने वाले को यह तसल्ली हो जाता है कि आपने उसके सम्मान को स्वीकार कर लिया है।
मित्रता और शादी के बाद की मित्रता में फर्क होता है?
शादी से पहले की मित्रता और शादी के बाद की मित्रता में फर्क होता है? एक लंगोटिया यार की मित्रता भुलाये नहीं भूलती। वो जिंदगी के हर मोड़ पर याद आता है। लेकिन शादी के बाद की मित्रता समय के साथ चलने के लिए एक आवश्यक वस्तु हो जाता है। कुछ शर्तों पर भी मित्रता होती है। मेरे इन्बोक्स में मत आना। केवल लाईक और कमेन्ट करते रहना। एकतरफा झुकाव। मित्रता जैसी कोई डोर हो न हो सूची 5000 की जरूर होनी चाहिए। यार मेरी बात सुनो। ऐसा एक इंसान सुनो जिसने मित्रता ना किया हो, वो मित्र भी न हो।
जब न्यूटन के सिर पर सेब गिरा
जब न्यूटन के सिर पर सेब गिरा तब उसे यह जानने की इच्छा हुई कि कोई चीज नीचे क्यों गिरता है। कमाल है, इतने वर्ष से पेशाब करता था तब उसका दिमाग कहाँ था। शायद इसीलिए लोग यह कहते हैं कि जब तक कोई काम सिर पे ना आ जाय तब तक उसे टालते रहो। है न सिर में दिमाग?
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