हर पुरुष बलात्कारी नहीं होता। हमने देखा है कि रेप के खिलाफ कितने पुरुषों ने प्रदर्शन करते हुए अपनी हड्डियां तुड़वाईं। कितनी ही ऐसी खबरें मिलती हैं जब कुछ असामाजिक तत्वों से किसी बेबस को बचाते हुए लोगों की जान चली गई। समाज में दोनों तरह के लोग होते हैं। यहां ‘पटेंशल रेपिस्ट’ भी होते हैं तो ‘पटेंशल सेवियर’ भी। मानव और दानव के बीच अंतर करने वाली एक बहुत ही महीन-सी रेखा होती है। यह हमारी परवरिश, हमारा सामाजिक माहौल तय करता है कि किसी खास परिस्थिति में हम उस महीन रेखा को मिटाकर दानव बन जाएंगे या फिर मानव ही बने रहेंगे।
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