Wednesday, 12 November 2014

मेरे हिसाब से व्यक्तित्व में स्पष्टता अवश्य होनी चाहिए। न काहू से दोस्ती न काहू से बैर। बैर ना हो इसलिए दोस्ती की डोर शक्तिशाली होनी चाहिए। दोस्ती के लिए बिना तर्क सहमती भी जतानी पड़ती है। क्योंकि दोस्ती के खातिर सब कुछ त्याज्य होता है। स्पस्ट व्यक्तित्व वाले सहज ही मित्र हो जाया करते हैं। उनकी क़द्र उनके दुश्मन भी करने लगते हैं। पूरा परिवेश उर्जावान हो उठता है।आप सभी दोस्त मेरे लिए प्रेरणाश्रोत हैं। आभार आपका।

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