एक बार एक गरीब आदमी ने भगवान बुद्ध से पूछा "मैं इतना क्यों गरीब हूँ?", बुद्ध ने कहा "तुम गरीब हो क्योंकि तुमने देना नहीं सीखा" । गरीब आदमी ने कहा "परन्तु मेरे पास तो देने के लिए कुछ भी नहीं है ?" बुद्ध ने कहा, "तुम्हारा चेहरा: एक मुस्कान दे सकता है, तुम्हारा मुँह- किसी की प्रशंसा कर सकता है या दूसरों को सुकून पहुंचाने के लिए दो मीठे बोल बोल सकता है, तुम्हारे हाथ- किसी जरूरतमंद की सहायता कर सकते हैं। और तुम कहते हो कि तुम्हारे पास देने के लिए कुछ भी नहीं है"? दरअसल हम में से कोई भी गरीब नहीं हैं। परमात्मा ने सबको एक जैसा बनाया। आत्मा की गरीबी ही वास्तविक गरीबी है। पाने का हक उसी को है जो देना जानता है। वास्तव में कुछ देने के लिए दिल बड़ा होना कहिये, हैसियत नहीं।
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