औरत के कई रूप होते हैं। वह कभी बेटी के रूप में लक्ष्मी बनकर हमारे घर आती है, तो कभी बहना बनकर स्नेह लुटाती है। कभी प्रेमिका बन हमारे साथ घूमने जाती है, कभी पत्नी बनकर हमारी जीवन-संगिनी हो जाती है। कभी माँ बन ममता का आँचल लहराती है। औरत के हर एक रूप का महत्व है, वो अपने हर रूप में समाज के साथ है। परन्तु फिर भी नारी इस समाज में अपने आप को महफूज क्यों नहीं पाती ?
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